22 thoughts on “दौड़…

  • April 2, 2010 at 9:29 AM
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    बहुत खूब !!!

    कभी अजनबी सी, कभी जानी पहचानी सी, जिंदगी रोज मिलती है क़तरा-क़तरा…
    http://qatraqatra.yatishjain.com/

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  • April 2, 2010 at 11:18 AM
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    wonderful poem… hum bhage jaa rahe hain lekin sahi maksad aur manjil ka pata nahi…

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  • April 2, 2010 at 3:15 PM
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    भाई आपकी हर रचना का बडी बेशब्री से इन्तजार
    रहता हॆ..
    सच कहा जिन्दगी बस घडी दो घडी हे..
    भाई एक सीक्रेट पूछू..
    इतने अच्छे फोटो कहा से आप लगाते हॆ…
    आपकी हर रचना मे फोटो ऒर भावो मे जन्मजात सहस संसर्ग होता हॆ..

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  • April 2, 2010 at 3:21 PM
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    सभी दौड़ने वालों के बारे में आपने सही लिखा है…
    हमारी बात और …

    कभी हम दौड़ते भी हैं तो जाने कितनों को खुद से आगे निकल जाने देते हैं…

    🙂
    🙂

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  • April 2, 2010 at 4:30 PM
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    दौड का बहुत सही आंकलन किया है….बधाई

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  • April 4, 2010 at 6:13 AM
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    Hello Rajat,

    Jiss tarah sachhaai ka bayaan karte hain aap
    Wo mann ko choooh jaati hai.

    Sachh ko likhna sabse mushkil kaam hai… and aapko wo mahaa-rath haasil hai!

    Great job done.

    Regards,
    Dimple
    http://poemshub.blogspot.com

    Reply
  • April 19, 2010 at 5:37 AM
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    यह रही मेरी कविता "दौड़"

    दौड़

    मनुष्य की जन्म जात प्रवृति नहीं है यह
    फिर भी कुछ लोगों ने
    जन्म लेते ही दौड़ना शुरू किया
    कुछ लोगों ने सहारा लिया
    और चलने लगे
    चलते चलते उन्हे लगा
    अब दौड़ना चाहिये
    जहाँ हर कोई दौड़ रहा हो
    वहाँ एक जगह खड़े रहना
    वर्तमान से असहमति माना जा सकता है

    दौड़ना उनके संस्कारों में शामिल नहीं था
    सो वे लड़्खड़ाये
    गिर पड़े हाँफते हाँफते
    फिर उठे और दौड़ने लगे
    उन्हे दौड़ता देख मैं भी दौड़ा
    हाँलाकि दौड़ में मैं सबसे पीछे था

    कोई नई बात नहीं थी यह
    पर खरगोश और कछुए की कहानी
    मैने सुन रखी थी ।

    – शरद कोकास
    (साक्षात्कार मार्च2001)

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  • April 19, 2010 at 5:38 AM
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    बढ़िया कविता है भई दौड पर । मैने इसी शीर्षक से एक अलग तरह की कविता लिखी है ।

    Reply
  • April 22, 2010 at 8:22 AM
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    hello sir, jindgi ka yatharth samjha diya aapne. har koi daudna chahta hai aur aage nikalna chahta hai…. arthpurn kavita….

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  • May 2, 2010 at 6:04 AM
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    sachhai ko bayan karti behad khubsurat bhavana

    best of luck

    Reply
  • May 4, 2010 at 5:25 AM
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    Bahut sachhi baat kahi haa apne aaj kal sab log bus दौड़ mein hi lage hue haa……..khoobsurat rachna haa…….

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  • May 5, 2010 at 8:35 AM
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    आपने सच्ची बातों को बेहतरीन
    अंदाज़ में पेश किया है ||
    पढकर आनंद आ गया ||
    आपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा ||

    Reply
  • July 14, 2010 at 10:07 AM
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    You have a very good blog that the main thing a lot of interesting and beautiful! hope u go for this website to increase visitor.

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  • August 11, 2010 at 6:29 AM
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    Thoughtful lines. Still tough to implement dont know whom to blame whether its me or situation. at times I think I know the way to come out from this race but at times I think i dont know anything n need to start from scratch. 🙂

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  • April 18, 2021 at 2:51 PM
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    आप की पोस्ट बहुत अच्छी है आप अपनी रचना यहाँ भी प्राकाशित कर सकते हैं, व महान रचनाकरो की प्रसिद्ध रचना पढ सकते हैं।

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